दिल में उल्फत नहीं है तो फिर दोस्ती की अदा छोड़ दे,....
वार करना है तो सीने पे कर, दुश्मनी कर, पर दगा छोड़ दे,......
ये सच है की आ जाता है,..सोहरत का असर,...
इन्सान तो क्या दर-ओ-दीवार बदल जाते है,...
और बेवफा बदले या न बदले,.....
वक़्त आने पर वफादार बदल जाते है,......
वार करना है तो सीने पे कर, दुश्मनी कर, पर दगा छोड़ दे,......
ये सच है की आ जाता है,..सोहरत का असर,...
इन्सान तो क्या दर-ओ-दीवार बदल जाते है,...
और बेवफा बदले या न बदले,.....
वक़्त आने पर वफादार बदल जाते है,......
पहली बार आपके ब्लॉग पर आई. आप तो सार्थक और सुन्दर लिखते हैं.
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'पाखी की दुनिया ' में आपका स्वागत है !!
pehli baar aapke blog par aayi..........bahut acchi rachna hai .badhayi
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